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पत्रकार Mukesh Chandrakar के भाई yukesh लिखते है -




पत्रकार Mukesh Chandrakar के भाई 

Yukesh Chandrakar x'twitter' पर लिखते है :
 किसी से प्रेम हो, तो जता दिया जाए कुछ अच्छा, थोड़ा बेहतर ख़ुद भी हुआ जाए, और उन्हें बता भी दिया जाए । लोग मर जाते हैं बेमौत मार दिए जाते हैं आवाज़ नहीं दे पाते हैं इतने अधिक चुप हो जाते हैं । कभी मुझे मेरे भाई के लिए जूते खरीदने चाहिए थे, कभी बेल्ट, कभी एक शर्ट या कभी एक बार जब उसने कहा था कई बार "जाता हूं दद्दा, आराम करूंगा !" मुझे भी उसके साथ चले जाना चाहिए था उसके नितांत अकेलेपन से भरे हुए कमरे में उसके बड़े से बिस्तर के एक तरफ लेटकर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए उसके माथे पर हौले हौले थपकियां देकर उसके सो जाने तक मुझे मौजूद होना चाहिए था मुझे देखना चाहिए था, जब वह गहरी नींद में सो रहा होता ! कुछ अहसास अगर, प्रियजनों की मृत्यु पर भी न होते हों उनकी संपत्ति, जायदाद, कमाई जिन्हें उनका अधिकार मिलना चाहिए उनसे भी छीन लेने की भूख दिखावे के आंसू रुलाती हो तो यकीन मानिए अभी भी आप दानव हैं ! राक्षस हैं ! वही राक्षस जिन्होंने मेरे भाई के कलेजे के चार टुकड़े कर दिए, हां वही ! जिन्होंने कभी मेरे दिल के टुकड़े को, उसके जीते जी ये नहीं पूछा कि बताओ हम क्या करें तुम्हारे लिए ? कभी एक बार भी ! अपने घर में स्वादिष्ट भोजन न पकाया और लाकर तुम्हें खिलाया कि, यह उसे प्रिय होगा जिसकी लाश के टुकड़े खाने के लिए तुम्हारे अंदर का राक्षस फड़फड़ाता होगा ! कभी अपने घर में बने भोजन को देखकर तुम्हें खयाल नहीं आया होगा कि इसका एक हिस्सा तुम उसे खिला आओ जिसके पंद्रह जगह से टूटे हुए सिर से बहते भेजे को तुम निगल जाने के लिए आतुर हो ! कभी भी उसकी पीड़ा की तरफ तुमने सोचा तक नहीं ! कि बिट्टू के हृदय में दुःखों के महासागरों के तूफ़ान उठे हुए थे ! तुमने उसके हृदय के टुकड़े कर डाले ये देखने के लिए कि आख़िर कोई किसी से इतना अधिक प्रेम कैसे कर सकता है ! तुमने तोड़ दिया उसकी पसलियों को, ये देखने के लिए कि इस छोटे से दिखने वाले सीने के अंदर इतना विराट साहस कैसे जन्म ले सकता है ? कि वह हर पल बेबसी, लाचारी के शिकार मजबूरों का साथ देने के लिए मौत तक को गले से लगाने के लिए तैयार खड़ा हो जाता है ! तुमने ये देखा कि वह तुम्हारे सामने सिर नहीं झुकाता है तो तुमने उसकी गर्दन तोड़ दी ! चार टुकड़े मेरे जिगर के करके चारों लोकों से अलग एक और लोक तुमने अपनी आत्माओं के लिए बनाया है ! सावधान ! अब तुम ऐसे नर्क के निर्माणकर्ता हो जहां तुम्हारे साथ अनंत बार यही क्रम दोहराया जाता रहेगा, अनंतकाल तक, तुम मेरे बच्चे की तरह तड़पते रहोगे लेकिन मर न सकोगे ! मेरे बच्चे ! तुम गहरी शांति में सो रहे हो, तो अभी सोते रहो ! यह सौभाग्य मानवजाति के इतिहास में पहली बार तुमने पाया है जहां मन से मुक्त हुए बिना तुम परमशांति को उपलब्ध हुए और फिर मन से मुक्ति पाई है ! हमारे प्रेम के साक्षी बने इस ब्रह्मांड की धधकती ज्वाला लपलपा रही है, तुम्हारी हत्या के साजिशकर्ताओं, हत्यारे राक्षसों की आत्माओं की प्रतीक्षा में तड़प उठी है मेरे मुन्ना ! वह सूर्य जो रोज सुबह हमारे किराए के आंगन में अपनी गुनगुनी धूप बिखेरता है वह सबसे ग्रीष्म ऋतु की भट्टी बनकर उनकी तरफ़ नज़र गड़ाए देखता है बिट्टू ! तू शांति से तेरे इस दद्दा की आत्मा के विशाल हृदय में सोते रह मेरे सोना बेटे ! मैं उचित समय पर तुझे फिर से मिलूंगा ! एक पिता के रूप में, कभी छोटे भाई के रूप में, कहीं बड़े भाई के रूप में और जैसी तुम्हारी हार्दिक इच्छा है हर जन्म में दद्दा ही रहूं लेकिन यहां तुम्हें मेरी भी इच्छा का सम्मान करना होगा कि मैं भी कभी कभी तुम्हारे बेटे के रूप में आना चाहता हूं । मेरे बिट्टा ! आई लव यू रे! ये संसार हमसे प्रेम करना सीख ले रे! चल ठीक है, कि मैं रो रहा हूं ! अभी के लिए मुझे रोने ही दिया जाए ! यदि सौ वर्ष का ये जीवन हो, जीवनभर भी मुझे रोना पड़े तो मैं इस रोने में बहुत खुश हूं ! तू शांति से ऐसे ही सोते रहना अभी के लिए ! अब तुझे दोबारा नहीं पूछूंगा कि, क्या तू मेरा बेटा बनकर आना चाहता है ? इशारा कर दे ! तो तुझे अदृश्य अस्तित्व से ताक़त लेकर अपने उस बेल्ट को मेरे पैरों पर गिराना पड़े जिसे खरीदा था तूने अपने जन्मदिन में पहनने के लिए ! चल अब सो जा, पूरा देश तेरे लिए, तेरी हत्या का न्याय हो इसके लिए लड़ रहा है और मुझे चिंता ही नहीं है कि उनके साथ क्या और कैसा न्याय होगा ? कि उनके गले में फूलों की माला पहने जाएगी या फांसी के फंदे डाले जाएंगे, या कि उनके शरीरों के उतने ही, वैसे ही टुकड़े किए जाएंगे, कि उन्हें अपराधबोध हो सकेगा और जैसी मै प्रार्थना करता हूं उस अनंत से जो शून्य में भी नहीं है कि वे अपराधबोध से दानव, मानव हो सकें और मानव सेवा कर सकें ! चल ठीक फिर.. गुड नाइट, स्वीट ड्रीम्स अभी के लिए सो जा बिट्टा.. ऐसे ही आराम से ❤️🙏

पत्रकार Mukesh Chandrakar के भाई yukesh लिखते है - पत्रकार Mukesh Chandrakar के भाई yukesh लिखते है - Reviewed by team 🥎 on January 09, 2025 Rating: 5
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