देवियांण pdf
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May 15, 2018
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नमस्ते भवानी छंद 'चंदबरदाई कृत'
NAMASTE BHAWANI कवि चन्द वरदाई नमस्ते भवानी दोहा चिंता विघन विनाषनी, कमलासनी शकत्त वीसहथी हॅस वाहनी, माता देहु सुमत्त। (छन्द भुजंगप्रयात) नमो आदि अन्नादि तूंही भवानी तुंही जोगमाया तूंही बाक बानी तुंही धर्नि आकाष विभो पसारे तुंही मोह माया बिखे षूल धारे । 1। तुंही चार वेदं खटं भाष चिन्ही तुंही ज्ञान विज्ञाान मेे सर्व भीनी तुंही वेद विद्या चऊदे प्रकाषी कला मंड चोवीस की रूप राषी। 2। तुंही रागनी राग वेदं पुराणम तुंही जन्त्र मे मन्त्र में सर्व जाणम तुंही चन्द्र मे सूर्य मे एक भासै तुंही तेज में पुंज मेेे श्री प्रकाषै । 3। तुंही सोखनी पोखनी तीन लोकं तुंही जागनी सोवनी दूर दोखं तुंही धर्मनी कर्मनी जोगमाया तुंही खेचरी भूचरी वज्रकाया । 4। तुंही रिद्धि की सिद्धि की एक दाता तुंही जोगिनी भोगिनी हो विधाता तुंही चार खानी तुंही चार वाणाी तुंही आतमा पंच भूतं प्रमाणी । 5। तुंही सात द्वीपं नवे खंड मंडी तुंही घाट ओघाट ब्रह्मंड डंडी तुंही धर्नि आकाष तूं बेद बानी तुंही नित्य नौजोवना हो भवानी । 6। तुं...