दौहा- सौरठा
वाम कर त्रिशूल ब्राजे, वाहण ग्राह विशाल ।
अनुपम शौभा आपरी, खमां धणि खोड़ियाळ।।
सेवक सुखदायी सदा, धिन माँ धाबळवाळ ।
मामड़ जा मातेशरी, खमां घणि खोड़ियाळ ।।
बढ़ायो विरद विचार, बंश सूरज रो बीसहथ ।
लंगरी लाइ लार, राबचा सुँ राजेशरी ।।
सेवक करण सनात, हाथ धरो सिर ऊपरें ।
बंश बधाली मात, वन्दू थाँने बीसहथ ।।
सातु बहिना साथ , लागो घणा सुहावणा ।
मकर वाहिनी मात, बीच बिराज्याँ बीसहथ ।।
प्राचि दिशा परभात, ऊगे अरक अवश्य ही ।
(इम) बंश बधाळी मात, बीच बिराज्याँ बीसहथ ।।
लौवड़ औपे लाल, अम्ब लाखिणी आपने ।
धिन धिन धाबळवाल, काछैली करूणानिधे ।।
आवे होय अधीर, बाळकियां हित बाहरु ।
सुख में राखे सीर, काछैली करूणानिधे ।।
संकट मांही सांकड़ी, रहे दास रें साथ ।
लाख रंग मां लंगरी, बंश बधाली मात ।।
—: शुभम् :—
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दौहा-सौरठा
Reviewed by team 🥎
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September 20, 2019
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