Home › Tidak Ada Kategori दौहा-सौरठा 5 years ago 1 min read दौहा- सौरठा वाम कर त्रिशूल ब्राजे, वाहण ग्राह विशाल । अनुपम शौभा आपरी, खमां धणि खोड़ियाळ।। सेवक सुखदायी सदा, धिन माँ धाबळवाळ । मामड़ जा मातेशरी, खमां घणि खोड़ियाळ ।। बढ़ायो विरद विचार, बंश सूरज रो बीसहथ । लंगरी लाइ लार, राबचा सुँ राजेशरी ।। सेवक करण सनात, हाथ धरो सिर ऊपरें । बंश बधाली मात, वन्दू थाँने बीसहथ ।। सातु बहिना साथ , लागो घणा सुहावणा । मकर वाहिनी मात, बीच बिराज्याँ बीसहथ ।। प्राचि दिशा परभात, ऊगे अरक अवश्य ही । (इम) बंश बधाळी मात, बीच बिराज्याँ बीसहथ ।। लौवड़ औपे लाल, अम्ब लाखिणी आपने । धिन धिन धाबळवाल, काछैली करूणानिधे ।। आवे होय अधीर, बाळकियां हित बाहरु । सुख में राखे सीर, काछैली करूणानिधे ।। संकट मांही सांकड़ी, रहे दास रें साथ । लाख रंग मां लंगरी, बंश बधाली मात ।। —: शुभम् :— _