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दौहा-सौरठा

                      दौहा- सौरठा 


वाम कर त्रिशूल ब्राजे, वाहण ग्राह विशाल ।

अनुपम शौभा आपरी, खमां धणि खोड़ियाळ।।


सेवक सुखदायी सदा, धिन माँ धाबळवाळ ।

मामड़ जा मातेशरी,   खमां घणि खोड़ियाळ ।।


बढ़ायो विरद विचार, बंश सूरज रो बीसहथ ।

लंगरी लाइ लार,     राबचा सुँ राजेशरी   ।।


सेवक करण सनात, हाथ धरो सिर ऊपरें ।

बंश बधाली मात, वन्दू थाँने बीसहथ  ।।

सातु बहिना साथ , लागो घणा सुहावणा ।

मकर वाहिनी मात, बीच बिराज्याँ बीसहथ ।।

प्राचि दिशा परभात, ऊगे अरक अवश्य ही ।

(इम) बंश बधाळी मात, बीच बिराज्याँ बीसहथ ।।


लौवड़ औपे लाल, अम्ब लाखिणी आपने ।

धिन धिन धाबळवाल,  काछैली करूणानिधे ।।

आवे होय अधीर,   बाळकियां हित बाहरु ।

सुख में राखे सीर, काछैली करूणानिधे ।।

संकट मांही सांकड़ी, रहे दास रें साथ ।

लाख रंग मां लंगरी, बंश बधाली मात ।।

                —: शुभम् :—

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