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रचना : समय, शिव चारण

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 'समय'

समय सिखावे बात, समय बा भूल न पावे |
समय जे करदे घात, समय बो समझ न आवे ||
समय ज माड़ो आय, जतन करलो भाई जतरा |
समय हुवे नहीं साथ, रूदन करलो भाई कितरा ||
समय जो लागे घाव  मिटे नहीं जन्म मरंता |
करो जे लाख उपाय  हुवे नहीं मेल मिलंता ||
समय रचावे रास  समय नर खेल बिगाड़े ||
समय बनावे भ्रात  समय पग लाय अखाड़े |
समय जे विपरित होय  समय कई बात सिखावे ||
समय जे ताके आप  समय कई नाच नचावे |
इण समय रो ही है फेर, इता मत उछलो भायां |
ओ बैरी करग्या घात, बदल जावे ला काया |
चलो समय रे साथ, समय ज्या करे करण दो ||
ओ एक दिन होसी साथ  किता दिन पग पटकण दो ||
ऊँचा बोले बोल  बोलावो समय मिनख ने |
चुटकी में चुप होय  करावे समय मिनख ने ||
समय-समय रा खेल  समय मत भूलो भाईड़ा |
आज माड़ो है काल  आवे ला आछो भाईड़ा ||
माड़े मे दे साथ  जका नर होवे अपणा |
आछो देख झपाक  चिपे बे बैरी आपणा ||
राग, द्वेष, मन, प्रीत , सबां ने समय हिलावे  |
उत्तम प्रीत प्रवाह , जकां ने समय मिलावे ||
समय करावे क्रोध, समय नर शांत करावे  |
समय मिलावे भाव, समय नर खड़-बड़ ज्यावे ||
समय जब होसी हाथ, मिला ला आमी-सामी |
समय जे दिनों साथ, कराला बात पुरानी ||
समय जे दीनी सीख, समय कवि कलम चलावे |
समय बताई बात, चारण शिव बंध सुणावे ||
( समय जो देवे साथ, कविता Share करावे ) 
रचयिता : शिवदान