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छंद :- दुर्गा बावनी

team 🥎


दुर्गा बावनी   🦅

छंद भुजंग प्रयात

दुर्गा बावनी

 !! दोहा !! 

आई सिंवरु आपनै, धर गणपत रो ध्यान।
किरपा करजै करनला,सेवग रखजै शान।।


     🌷छन्द भुजंग प्रयात 🌷

भजो मात दुर्गा सदा ही भवानी।
रटो नाम नित्या नमो माढ रानी।
नमो आद मातेसरी किंनियाणी
नमो राय देसाण री हे धिराणी।।1।।

नमो मात दुर्गा नमो माढ रानी।
नमो आद अम्बा सदा ही भवानी।
नमो संकरी आद शक्ति शिवानी।
नमो जोगमाया धजा री धिराणी।।2।।

तुही नाभ विष्णु ज ब्रह्मा उपाती।
तुही रूप दैत्या ज ब्रह्मा डराती।
तुही मोह माया ज विष्णु जगाती।
तुही रूप विष्णु मधू कीट  घाती।।3।।

तुही राग में आग में पौन पानी।
तुही कंठ में ताल में सुरज्ञानी।
तुही भोग में जोग में योग माया।
तुही छंद में बंध में अम्ब छाया।।4।।

तुही लोक परलोक तीनों उपाई।
तुही सेस माथै धरा है थमाई।
तुही मात आकाश पाताल पानी।
तुही मानवां लोक अम्बा थपानी।।5।।

तुही रूप चंडी भवानी बनाती।
तुही चंड मुंडा ज मारै गिराती।
तुही कालखंडी तुही खप्पराली।
तुही रक्तदन्ता भवा रुदराली ।।6।।

तुही आद शक्ति सभी में विखाता।
तुही रूप ब्रह्मा ज सृष्टि विधाता।
तुही रूप विष्णु धरै जीव दाती।
तुही शंकरी शिव भष्मा रमाती।।7।।

तुही शुंभ निशुंभ के प्राण घाती।
तुही छेद त्रिशूल भैंसाज छाती।
तुही धूमलोचन्न धुंवा उड़ाती।
तुही सँकरी शिवदूती कहाती।।8।।

तुही मोह माया मनच्छा रमाये।
तुही आप नैणाय देवी कहाये।
तुही रूप वैष्णों गुफा मांय राजै।
सदा साथ में भैरवा नाथ साजै।।9।।

तुही कांगड़ा कोट काळी कहावै।
तुही चिंतपूर्णी ज चिंता हरावै।
तुही जोत ज्वाला हिमालै जगाई।
तुही बाणगंगा भवा हो बणाई।।10।।

तुही कालराती कमख्या कहाती।
तुही रिद्धि सिद्धि भंडारा भराती।
तुही शंकरी गौरजा हो शिवानी।
तुही भैरवी माँ अनन्ता भवानी।।11।।

तुही जंत्र में मंत्र में मात जाणी।
तुही धंत्र में तंत्र में वेदबाणी।
तुही अज्जया बिज्जया आद अंबा।
तुही अज्जरा अम्मरा अव्विलंबा।।12।।

तुही सुंदरी त्रिपुरा में सुहावै।
तुही काळका भद्रकाळी कहावै।
तुही जोगमाया अमा जग्गदम्बा।
तुही बीसहत्थी भवा भुज्जलम्बा।।13।।

तुही गांव गंवाड़ मंढाय दाती।
तुही छिन्नमस्ता भवानी कहाती।
तुही लोक तीनूं अमा हो उपाती।
तुही ज्ञान में ध्यान में ऐक थाती।।14।।

तुही रूप अम्बा अनेकों बनाती।
तुही नाद अन्नाद आपै उपाती।
तुही जीव निर्जीव सर्जीव दाती।
तुही प्राण देवै तुही प्राण घाती।।15।।

तुही जंत में तंत में प्राण जाणी।
तुही नभ्भ में थल्ल में आग पाणी।
तुही नीर में क्षीर में माढ राणी।
तुही अन्न में धन्न में खान पाणी।।16।।

तुही कामनी रूप नारी कहाती।
तुही बाल रूपा सुता है बनाती।
तुही जन्मदाता कहावै ज माता।
तुही मात भार्या सुता और दाता।।17।।

तुही चाळनेची कहावै चमुंडा।
तुही जागती जोत ज्वाला अखंडा।
तुही रुप ऐको अनेकों धराती।
तुही जीव में मोह माया जगाती।।18।।

तुही काल खंडाय कन्या कुमारी।
तुही भैरवा दैत मारै ज भारी।
तुही सेवगां री सदाही सहाई।
तुही पल्ल में राखसों ने खपाई।।19।।

तुही धूप में दीप में जोत बाती।
तुही जागती जोत देवा लुभाती।
तुही आग पानी हवा को बणाई।
तुही भाण चन्दा धरा तो थपाई।।20।।

तुही सेवगां री भवा संकलाई।
तुही जोत ज्वाला तवा पे जगाई।
तुझे धर्म्मसाला धयानू ज ध्याई।
तुही आद शक्ति सदा ही सहाई।।21।।

सुता शैल रूपां सदा ही सहाई।
तुही बामणी रूप अम्बा बनाई।
तुही चन्द्रघंटा कहीजै चमुंडा।
तुही काल खंडा अमा कूसमंडा।।22।।

तुही स्कंदमाता सदा ही विखाता।
तुही मात कात्यायनी हो कहाता।
तुही कालदाती कहावै ज काली।
करै नाश दुस्टां अमा खप्पराली।।23।।

तुही गौरजा हो भवा आद गौरी।
रटै देव पूजा करै मात तोरी।
तुही आद शक्ति अमा सिद्धदाता।
भवा पार तेरा कबो नांय पाता।।24।।

मढ़ा तो गढ़ा आप अम्बा विराजो।
भवा सेवगों रा सदा दुःख भांजो।
चढो सिंघ माथै करो थै चढ़ाई।
भवा से भवानी दुखों को भगाई।।25।।

तुही आद अन्नाद तुं मोह माया।
तुही ब्रह्म विष्णु शिवा तो उपाया।
तुही जानकी रूप सीता कहाती।
तुही राम ओ रावणै को लड़ाती।।26।।

तुही माँ शिवा सारदा है कहाती।
तुही लोक तीनों खपाती बनाती।
तुही जोत माँ काल खंडा जगाती।
तुही रूप लक्ष्मी विष्णु को लुभाती।।27।।

ब्रम्हा संग तुंही कहावै ब्रह्माणी।
धरै रूप रौद्र असूरां दलाणी।
तुही मोह माया तुही माढ राणी।
नमस्ते नमस्ते नमस्ते भवानी।।28।।

तुही द्रोपदी रूप में द्वापर धाई।
तुही कौरवां पांडवां नै खपाई।
तुही काल खण्डा उपावै भवानी।
तुही पुंज में तेज में आग पानी।।29।।

तुही आद शक्ति भवानी कहाती।
तुही मोह माया अमा हो रचाती।
तुही मात काली बजावै ज ताली।
चण्डिका बणी दुस्ट मारण चाली।।30।।

तुही हिंगलाजा अमा हो हमारी।
तुही तो भवा चारणां वंश तारी।
तुही ज्ञान में ध्यान में हो विखाता।
तुही आद माता सृष्टि की विधाता।।31।।

तुही आवड़ा तेमड़ा मांय तापै।
तुही पाप भौमी मिटावै ज आपै।
तुही खोडला मात अमृत लाती।
तुही देगराया ज भैंसा खपाती।।32।।

नमो राय भादेरिया री धिराणी।
नमो आद शक्ति करणी कीनियानी।
जपो जाप अम्बा सदा ही जिलाणी।
नमो मात दुर्गा नमो माढ राणी।।35।।

तुही मात देसाण करणी कहाती।
तुही जाय लाखन जिंदा कराती।
तुही रूप डाढ़ाल मैया बनाती।
तुही मात राठौड़ वंशा पुजाती।।34।।

करोली अमा आप कैला कहावै।
अमा मात जालोर आशा पुरावै।
तुही छींक माता ज आमेर धाती।
तुही खेमजा मां सिरोही कहाती।।35।।

बिलाड़ा तुही मात आई विराजो।
सवारी चढ़े सिंघ सन्मूख साजो।
जुमाया भवानी तुही जोगमाया।
कुर्मी वंश देवी अमा तों कहाया।।36।।

पहाड़ां चढ़ी जीण माता पुजायै।
अमा भैरवा नाथ साथै उपायै।
लटीयाल माता कहावै फलोदी।
जिलाणी अमा आप राजो बरोड़ी।।37।।

तुही शीतला मात देवी कहाता।
तुही राय देवी ज नागाण माता।
कुलां मात राठौड़ देवी कहाती।
दधी मां नगौरा दुमाया इदाटी।।38।।

अजे मात तेरा ज चेरा कहाता।
तुही हो भवानी भवाली ज माता।
मधां पीय ढाई महामाय प्याला।
अमा दीन की तुं हमेशा दयाला।।39।।

सवांगी सदा रूप आपै सरावो।
सदा सांचला मात देवी सहावो।
तुही बांकला बीरवड़ा बूट राया।
भवा कामही राजला बैच राया।।40।।

सुगाली दुमाया कवाया सुराणी।
तुही सैण माता जया माढ राणी।
भवा सेवगां रा भंडारा भराणी।
हरो आप पीड़ा हमारी भवानी।।41।।

अमा आप ही देवला हो कहाई।
तुही आवड़ा मामड़ा तेमड़ाई।
सदा सुरराया करो मां सहाई।
खला को अमा आप  दीजो खपाई।।42।।

तुही देवला मात पाबू ज ध्याई।
तुही कालमी अम्ब घोडी बणाई।
तुही संवली रूप सोढाण धाई।
तुही चार फेरों ज सोढ़ी छुड़ाई।।43।।

रणां भौम जाके विराजी तु भाला।
चला देवला मात तेराय चाला।
तुही व्हार गायां ज पाबू पठाही।
तुही वीर पाबू अमा तो पुजाही।।44।।

तुही मोगला माँ कहावै मछाली।
तुही डोकरी मात डाढ़ाळवाली।
तुही नाथ आई मढा री धिराणी।
तुही अम्ब राजै धजा आसमानी।।45।।

तुही मात इन्द्र भवा हो कहाती।
गढा तो मढ़ा में खुड़दा ज थाती।
तुही सायरा मात अम्बा सुहाती।
तुही कोट दांता ज मैया पुजाती।।46।।

तुही रूप सूवा ज माता धिराणी।
कथा मात तेरी करूँ क्या बखानी।
अजे दास तेरो करणी कीनियानी।
नमस्ते नमस्ते नमस्ते भवानी।।47।।

करो नाश दुष्टा ज देवौ खपाई।
रखो लाज आके अमा सूरराई।
हरो दुःख पीड़ा सभी तुं मेहाई।
अमा आय बेगी करो थै सहाई।।48।।

हमेशा रहो सेवगां री सहाई।
अबै मात कैसे अवेरां लगाई।
हुवी बात कांई करी ना सुणाई।
सुणो साद मेरी करो माँ सहाई।।49।।

सदा सिंवरुं सारदा हे भवानी।
धरुं मात तेरो हमेशाय ध्यानी।
हरो मात पीड़ा रहो थै सहाई।
अमा आय बेगी करेगी सुणाई।।50।।

जगा जोत तेरी करूँ मात पूजा।
दिखें नांय मैया मुझे देव दूजा।
भजूं दिन रातां तुझे ही भवानी।
कहै मां अजे जोड़ तेरी कहानी।।51।।

अकाशा पताळा अमा आप राजै।
सचै सेवगां रै हिया मांय साजै।
सदा नाम रटो करो नित्य सेवा।
देवी आद शक्ति सदा साथ देवा।।52।।

ठाकुर अजयसिंह 

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