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रचना: मैं चरणों रो दास मावड़ी

 मैं चरणों रो दास मावडी

बाळक थारो खास मावड़ी

था सूं है अरदास मावड़ी 

कर बेरी रो नाश मावड़ी

पूरी करजो आस मावड़ी

तूं सुख रो अहसास मावड़ी

रमे भाखरा रास मावड़ी

थूं ही है विश्वास मावड़ी

सुरगां रो आभास मावड़ी

मैं मढ़ काबो काश! मावड़ी

दुनिया करे हताश मावड़ी

निज हिंये निवास मावड़ी

मतलब रो संसार मावड़ी

थूं ही बस आधार मावड़ी

थां बिन मैं लाचार मावड़ी

कर दो बेड़ो पार मावड़ी

थूं है बड़ी उदार मावड़ी

 धिन धिन बारमबार मावड़ी

  जीवण रो बस सार मावड़ी 

थां बिन मारी हार मावड़ी

मारो तूं अभिमान मावड़ी

तूं मारी पहचान मावड़ी

धरूं रात दिन ध्यान मावड़ी

गाउँ में गुणगान मावड़ी

 थारा है अहसान मावड़ी

धन विद्या बल दान मावड़ी

जग में मैं अणजान मावड़ी

तूं ही कृपा निधान मावड़ी

 जब जब आफत पड़ी मावड़ी

संकट में तूं खड़ी मावड़ी

भगतों हित में अड़ी मावड़ी

यम दूतों सूं लड़ी मावड़ी

हाजिर हेले घणी मावड़ी 

थूं सब सूं है बड़ी मावड़ी

मन में है हड़बड़ी मावड़ी

दर्शन री है घड़ी मावड़ी

माने थां पर नाज मावड़ी

चारण कुळ परवाज मावड़ी

मत होज्यो नाराज मावड़ी

गिरे कदे ना गाज मावड़ी

अरज करूं में आज मावड़ी

पूरण करजो काज मावड़ी

चरणां में गजराज मावड़ी

रखजो हरदम लाज मावड़ी

 

         गजेंद्र चारण

श्री हनुमान चालीसा 🫵 

रचना: मैं चरणों रो दास मावड़ी रचना: मैं चरणों रो दास मावड़ी Reviewed by team 🥎 on October 26, 2024 Rating: 5
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