कुॅंवर प्रताप सिंह बारहठ

 






प्रताप सिंह बारहट का जन्म 24 मई 1893 को उदयपुर ( जिला शाहपुरा) 



  केसरी सिंह और मां माणिक कंवर के परिवार में हुआ था। प्रताप सिंह ने अपनी प्राथमिक शिक्षा कोटा में प्राप्त की और उच्च शिक्षा अजमेर से हासिल की। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के कारण सरकारी अधिकारियों ने उन्हें परीक्षा से वंचित कर दिया। अमीर चंद ने उन्हें वर्ष 1913 में दिल्ली में ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए प्रशिक्षित कियाउनके पिता, केसरी सिंह बारहट को 20 साल की जेल हुई थी और उनके चाचा जोरावर सिंह को भी जेल में डाल दिया गया था, हालांकि बाद वाले जेल से भाग गए थे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने ब्रिटिश भारत के गृह सचिव को मारने की जिम्मेदारी ली थी। चांदनी चौक पर बम विस्फोट के समय वे अपने पिता केसरी सिंह बारहट के साथ थे। इन घटनाओं के लिए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और बरेली जेल में कारावास की सजा सुनाई। कारावास के दौरान प्रताप सिंह को अंग्रेजी अधिकारियों द्वारा क्रूर यातनाएँ दी गईं। लेकिन उन्होंने अन्य भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के विवरण का खुलासा नहीं किया। प्रताप सिंह को बनारस षडयंत्र में दोषी पाया गया और उन्हें 5 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।
  
  उन्हें अमानवीय यातनाएं दी गई तब प्रताप सिंह बारहठ ने कहा 
  " मेरी माँ रोती है तो रोने दो, मैं अपनी माँ को हॅंसाने के लिए हजारों माताओं को रुलाना नहीं चाहका |"
  
  
  यातनाओं से व्यथित होकर मई 1918 में जेल में ही कुँवर प्रताप सिंह बारहट की मृत्यु हो गयी।