श्री विनायक वन्दना
।।दोहा।।
गण नायक गिरिजा तनय, गार वरण गुणधाम।
प्रथम पुज्य भव पुत्र ने, पुनि पुनि करु प्रणाम।।
मोदक प्रिय मन मोद सूँ, पूरण कृपा प्रकाश । हरसित हुय निज दास हिय, निशदिन करो निवास।।
- -छप्पय-
अखिल अमर अगवाण, नमो जय गौरी नन्दन ।
देवण बुध दातार, करु प्रथम पद वंदन।।
विहँसी ह्रदय विराज, करो घट ज्ञान उजालो ।
नयन अमी निज दास,भला बुध वारिध भाळो ।।
निज वरद विनायक रुप धर, (थिर) थाण हिये मम थापिये ।
गुण गान मात धण कर सकू, ऐम बुद्धि मों आपिये।।
२
भुजा चार शशि भाळ, माळ मुकता मन मौंहे।
स्वर्ण मुकुट सिर छत्र, विविध आयुध कर सौहे।।
गौर वरण गुण धाम नाम अघ तिमिर नशावें।
आप सुजस अणपार, पार कोईवनहीं पावें।।
बुध विमल बगस निज दास, अमित कृपा उर आणिये।
अतिशय उदार समरथ महा,(निज) पावन विरद पिछाणिये।।
।।दोहा।।
गौरी नन्दन गणपती, दयावन्त दातार ।
सदबुद्धि बगसो सदा, आप दया उर धार ।।
गज आनन गौरी सुवन , लम्बोदर गणराज।
आय बसो उर मायने, महर करो महाराज।।